सुन्दर भोली लाल सी रोली थी बाला अति प्यारी जिसके रोम रोम में बसी थी अद्भुत कला निराली। सुन्दर भोली लाल सी रोली थी बाला अति प्यारी जिसके रोम रोम में बसी थी अद्भुत कल...
कभी तो समझेंगें वो मुझे, बस इसी सब्र में ही, क्या बची ज़िन्दगी कटेगी मेरी रसोई-घर में ही। कभी तो समझेंगें वो मुझे, बस इसी सब्र में ही, क्या बची ज़िन्दगी कटेगी मेरी रसोई-घर...
मासूम कन्या की उजड़ी ज़िंदगी...। मासूम कन्या की उजड़ी ज़िंदगी...।
उम्मीदों के खिलाफ ! उम्मीदों के खिलाफ !
वो लड़की और उसकी दुनिया सब 'ख्वाब' ही तो है ! वो लड़की और उसकी दुनिया सब 'ख्वाब' ही तो है !
क्यूँ बदल जाती है तस्वीर सात फेरों के बाद ? क्यूँ बदल जाती है तस्वीर सात फेरों के बाद ?